हम सभी सपने देखते हैं लेकिन कभी-कभी हम ऐसे सपने देखते है जिनका अर्थ हमें पाता नहीं होता है लेकिन उनका अर्थ जरूर जानना चाहते है ऐसा ही कुछ भगवान महावीर की माता त्रिशला के साथ हुआ था। भगवान महावीर की माँ जब गर्भवती थी तब महारानी त्रिशला नगर में हो रही रत्नों की अद्भुत वर्षा के बारे में सोच रही थीं। सोचते-सोचते उनकी आँख लग गई और रानी ने चौदह सुन्दर एवं शुभ स्वप्न देखे।
यह आषाढ़ शुक्ल षष्ठी का दिन है। सुबह उठकर रानी अपने पति राजा सिद्धार्थ को अपने सपनों के बारे में बताती है। राजा सिद्धार्थ को ज्योतिष शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था और इसी वजह से माता त्रिशला ने उनसे इन सपनों का अर्थ जानना चाहा।
रानी ने एक एक कर राजा को अपने 14 सपनों के बारे में बताना शुरू किया और राजा ने भी उसी प्रकार से उनके 14 सपनों का अर्थ उन्हें समझाया।
तो चलिए जानते है वो कौन से 14 सपने थे और उनका अर्थ क्या है –
पहला सपना:- सपने में एक विशाल सफेद हाथी दिखाई दिया।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राजा सिद्धार्थ ने पहले स्वप्न का फल बताया कि उनके घर एक दिव्य बालक का जन्म होगा।
दूसरा सपना – सपने में एक श्वेत वृषभ दिखाई देना।
राजा सिद्धार्थ ने बताया -वह बच्चा संसार का कल्याण करेगा।
तीसरा सपना– श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह।
जिसका अर्थ है बच्चा शेर की तरह शक्तिशाली,मजबूत और निडर होगा।
चौथा सपना -दो हाथी कमलासन पर विराजमान लक्ष्मी का अभिषेक कर रहे हैं।
राजा ने बताया चौथा सपना धन, समृद्धि और शक्ति की देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है जिसका अर्थ है बच्चा बहुत धन और वैभव का आनंद उठाएगा और देवलोक से देवगण आकर उस बालक का अभिषेक करेंगे।।
पांचवां सपना– रानी त्रिशला ने पांचवे सपने में देखा कि आकाश से फूलों की दो माला उतर रही है।
इस सपने का मतलब है कि बच्चा अपने ज्ञान की खुशबू पूरे ब्रह्मांड में फैलाएगा और हर कोई उसका सम्मान करेगा। और वह एक धार्मिक तीर्थ स्थल की स्थापना करेंगा और लोग उनकी पूजा करेंगे।
छठा सपना : इसमें पूर्ण चंद्रमा/पूर्णिमा का दिखना
इसका अर्थ है उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे। वह सभी जीवों के दुखों को कम करने में मदद करेगा। वह दुनिया में शांति लाएगा। और पूरी मानवता की आध्यात्मिक प्रगति में मदद करेगा।
सातवां सपना –सूर्योदय
इसका अर्थ है कि उनका बालक सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त करेगा और वह भ्रम के अंधकार को दूर करेगा। साथ ही सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धार करेगा।
आठवां सपना – रानी त्रिशला ने आठवे सपने में देखा कि एक सोने की छड़ी पर एक बड़ा-सा झंडा लहरा रहा है
यह सपना बताता है कि उसका बच्चा धर्म की ध्वजा लहराएगा और पूरे ब्रह्मांड में धर्म व्यवस्था को फिर से स्थापित करेगा।
नौवां सपना में कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश जिनमे जल भरा हुआ था।
इसका अर्थ है बच्चा सभी गुणों से युक्त होगा तथा सभी जीवों के प्रति दया भाव रखने वाला होगा। वह अत्यंत धार्मिक होने के साथ साथ अनेक निधियों का स्वामी निधिपति होगा।
दसवां सपना – कमलों से भरी झील।
यह सपना संकेत देता है कि बच्चा जन्म, मृत्यु और दुख के चक्र में उलझे हुए मनुष्यों को मुक्ति दिलाने में मदद करेगा।
ग्यारहवाँ सपना – दूधिया समुद्र दिखाई देना
इस सपनें से पता चलाता है कि बच्चे का व्यक्तित्व शांत और सुखद होगा। जन्म, मृत्यु और दुख के सागर में जीवन व्यतीत करते हुए मोक्ष या मुक्ति की ओर अग्रसर होगा।
बाहरवा सपना -सपने में एक दिव्य विमान देखा।
इसका अर्थ है स्वर्ग के सभी देवी देवता बच्चे की आध्यात्मिक शिक्षाओं का सम्मान, आदर और अभिवादन करेंगे।
तेरहवाँ सपना – रत्नों का ढेर।
यह बच्चा अनंत गुणों से सम्पन्न होगा।
चौदहवाँ सपना– धुआँ रहित अग्नि का दिखाई देना
बच्चा धार्मिक व्यवस्था को सुधारेगा और पुनर्स्थापित करेगा। वह अंधविश्वासों और रूढ़िवादी कर्मकांडों को खत्म करेगा। साथ ही, वह अपने सांसारिक कर्मों को जला देगा या नष्ट कर देगा और मोक्ष प्राप्त करेगा।
इस घटना के बाद पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला को पता चला कि उनके घर एक ऐसे दिव्य बालक का जन्म होने वाला है, जो युगों-युगों तक अपने कल्याणकारी संदेश से तीनों लोकों को लाभान्वित करेगा।