‘आओ मिल कर हम वृक्ष लगाए, धरती मां का कर्ज चुकाए।’ इन यथार्थ पंक्तियो को सजीव करता हुआ एक अनुमोदनीय व अनुकरणीय कार्यक्रम गत दिनों आत्मवललभ जैन महिला मंडल, मुंबई (सादड़ी) द्वारा आयोजित किया गया। लगभग सभी सदस्यों की उपस्थिति से कार्यक्रम सुसज्जित हुआ। इस कार्यक्रम में सभी ने मिट्टी की पानी की बोटल पर चित्रकारी व पेंटिंग कला का लुत्फ उठाया।
‘मिट्टी से जुड़कर जीवन सजाए। चलो, हरियाली से खुशहाली लाएं।’ इस थीम को भी कार्यक्रम का हिस्सा बनाकर मिट्टी के बर्तनों का उपयोग याद दिलाया गया। इसके अलावा, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हमारे चौबीस तीर्थकरों के निर्वाण वृक्षों का ज्ञान भी बहुत सराहा गया। और इन सबके साथ साथ छोटी छोटी प्रेरक कहानियो के माध्यम से सभी के दिलों में जगह बनाने वाले ‘शानदार शांतीभाई’ ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम में और चार चांद लगा दिए। अपनी कहानियों के द्वारा उन्होंने, प्रकृति व वृक्षारोपण संबंधी राजस्थान व राजस्थानीयो से जुड़े कई रोचक किस्से साझा किए। जिसे सुनकर राजस्थानियों को अत्यधिक गर्व का एहसास हो रहा था। उनके अंदाज व कहानियों को सभी ने तालियों की करतल ध्वनी के साथ सुना। इस कार्यक्रम की उनकी कहानियों ने सोशल मीडिया पर बडी धूम मचाई है।
कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्यों को रिटर्न गिफ्ट में एक एक पौधा दिया गया जिसे सभी लोगों ने अपने घरों के आस पास रोपण किया। कार्यक्रम के कुछ दिनों पश्चात मंडल द्वारा पुनः नेशनल पार्क मे 25 बड़े आम के पेड़ों का वृक्षारोपण भी किया गया। भारी बरसात के बावजूद अपने हाथों से वृक्षारोपण करने के लिए आए हुए सदस्यों के लिए ये एक यादगार पल रहा।
इस तरह कुल मिलाकर लगभग पौनै दो सौ वृक्षों के रोपण से अध्यक्षा भावना राठोड़, संगीता राठोड़, नेजल, वर्षा, मोनिका सहित सभी लोग बहुत ही आनंद विभोर है। पर्यावरण को केंद्र में रखकर, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को परिपूर्ण करने की आत्मवललभ जैन महिला मंडल की ये कोशिश अत्यंत ही सराहनीय व अनुकरणीय है।