1) कुटुम्ब कम हुआ 2) सम्बंध कम हुए 3) नींद कम हुई. 4) बाल कम हुए 5) प्रेम कम हुआ 6) कपड़े कमहुए7) शिष्टाचाट कम हुआ 8) लाज-लज्जा कम हुई 9) मर्यादा कम हुई 10) बच्चे कम हुए11) घट में खाना कम हुआ12) पुस्तक वाचन कम हुआ।3) भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15) चलना कम हुआ 16) खानपान की क्षुद्धता कम हुई 17) खुराक कम हुई 18) घी-मक्खन कम हुआ 19) तांवे-पीतल के बर्तन कम हुए 20) मुख-चैन कम हुआ 21) अतिथि कम हुए 22) सत्य कम हुआ 23) सभ्यता कम हुई 24) मन-मिलाप कम हुआ 25) समर्पण कम हुआ 26) बड़ों का सम्मान कम हुआ. 27) सहनश्षक्ति कम हुई.28) धैर्य कम हुआ 29) श्रद्धा-विश्वास कम हुआ.औट भी बहुत कुछ कमहुआजिससे जीवन सहज था, सरल था. सतान को दोष न दें बालक या बालिका को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाया_ ‘अंग्रेजी बोलना सिखाया बर्थ डे औट मैरिज एनिवर्सटी जैसे जीवन के शुभप्रसंगों को अंग्रेजीकल्चट के अनुसाट जीने को ही’श्रेष्ठ माना।माता-पिता को मम्मी औट डैड कहना सिखाया.
जब ‘अंग्रेजी कल्चट से पटिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकद, आपको ‘समय नहीं देता, आपकी ‘भावनाओं को नहीं समझता, आप को ‘तुच्छ मानकर जुबान लड़ाता है और आप को बच्चों में कोई संस्कार नजर नहीं आता है, तब घर के वातावरण को गमगीन किए बिना … या .. संतान को दोष दिए बिना . कही एकान्त में जाकट टोले क्योंकि.
पुत्र या पुत्री की पहली वर्घगांठ से ही, भारतीय संस्काटों के बजाय, मंदिर जाने की जगह केक कैसे काटा जाता है सिखाने वाले आप ही हैं .. हवन कुण्ड में आहुति कैसे दी जाए .. मंत्र, आरती, हवन, पूजा-पाठ, आदट-सत्कार के संस्कार देने के बदलेकेवल फटटिदार अंग्रेजी बोलने को ही, अपनी शान समझने वाले भी शायद आप ही हैं ..
बच्चा जब पहली बाट घट से बाहट निकला तो उसे प्रणाम-आशीवदि के बदले बाय-बाय कहना सिखाने वाले आप .. परीक्षा देने जाते समय दष्टदेव/बड़ों के पैट छूने के बदले ‘Best of Luck’ कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप बालक या बालिका के सफल होने पद, घर में पटिवाट के साथ बैठ कट खुष्ियाँ मनाने के बदले होटल में पार्टी मनाने की प्रथा को बढ़ावा देने वाले आप ..
बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्कु ल देवता/देव दर्श्षन को भेजने से पहले .. हनीमून के लिए फाटेन/टूरिस्ट स्पॉट भेजने की तैयाटी करने वाले आप .. ऐसी ही डेट साटी ‘अंग्रेजी कल्चर्स को हमने जाने-अनजाने स्वीकार कर लिया है .. अबतो बड़े-बुजुगों और श्रेष्ठों के पेट छूने में भी’धषर्म आती है. गलती किसकी? मात्र आपकी (माँ-बाप की) .. अंग्रेजी अंतटराष्ट्रीय भाषा है ..
कामकाज हेतु इसे सीखनाहै, अच्छी बात है पर इसकी संस्कृति को, जीवन में उतारने की तो कोई बाध्यता नहीं थी? अपनी समृद्ध संस्कृति को त्यागकर नैतिक मूल्यों,मानवीय संवेदनाओं से टहित अन्य सभ्यताओं की जीवनशीली अपनाकर हमने क्या पाया? अवैध संबंध? टूटते परिवाट? व्यसनयुक्त तन? थकेहाटे मन? छलभरे टिश्ते? अभट्र, अनुक्षासनहीन संतानें? असुरक्षित समाज? भयावह भविष्य? एक बार विचार अवश्य कीजिएगा कि संस्कारवान पीढ़ी क्यों आवध्यक है.