सारांश
उदयपुर के विश्व प्रसिद्ध शिल्पग्राम उत्सव का आगाज़ 21 दिसंबर से होगा, जो 31 दिसंबर तक चलेगा। इस बार 20 राज्यों के 800 से अधिक लोक कलाकार अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे। उत्सव की थीम है “लोक के रंग लोक के संग”, जो भारतीय लोककला और संस्कृति की समृद्ध विविधता का जश्न मनाती है।
विस्तार: लोककला और संस्कृति का उत्सव
उत्सव का उद्घाटन राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ढोल-नगाड़े की गूंज के साथ करेंगे। इस मौके पर अन्य विशिष्ट अतिथि, जैसे उदयपुर और चित्तौड़गढ़ के सांसद और स्थानीय विधायकों की उपस्थिति उत्सव को और भी भव्य बनाएगी।
उत्सव की मुख्य झलकियां:
- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
- 65 कला दल अलग-अलग राज्यों से अपनी पारंपरिक कलाओं का प्रदर्शन करेंगे।
- कच्छी घोड़ी, मांगणियार गायन, कालबेलिया नृत्य, और मशक वादन जैसे कार्यक्रमों की झलक देखने को मिलेगी।
- पारंपरिक शिल्प और प्रदर्शनी
- देशभर के जनजातीय मुखौटे और गवरी के चरित्रों की प्रदर्शनी।
- संगम हॉल में पारंपरिक चित्रकारी की प्रदर्शनी।
- 12 राशियों की पत्थर से बनी मूर्तियां आकर्षण का केंद्र होंगी।
- विशेष सजावट
- मुख्य द्वार को गुजरात की पिथौरा चित्रकारी से सजाया गया है।
- लोक कलाकारों का संगम
- लोक कलाकारों और बहुरूपियों का प्रदर्शन दर्शकों को भारतीय संस्कृति के करीब लाएगा।
उत्सव का उद्देश्य और महत्त्व
शिल्पग्राम उत्सव केवल एक आयोजन नहीं है; यह भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक है। यह उत्सव लोक कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है और आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है।
- संस्कृति का संगम:
राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के कलाकारों को एक साथ लाना भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। - पर्यटन का बढ़ावा:
हर साल हजारों पर्यटक इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलता है।
उत्सव का सांस्कृतिक अनुभव
उत्सव में न केवल परंपरागत प्रस्तुतियां होंगी, बल्कि आधुनिक कलाकारों के साथ संवाद और प्रदर्शन भी होंगे। दर्शकों के लिए यह एक ऐसा मंच होगा, जहां वे लोक संस्कृति की समृद्धि और विविधता का अनुभव कर सकते हैं।
थीम: लोक के रंग लोक के संग
इस थीम के माध्यम से लोक संस्कृति को न केवल संजोने बल्कि उसकी नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रदर्शनियां और कार्यशालाएं
- कला प्रदर्शनियां: पारंपरिक और समकालीन चित्रकारी का संगम।
- कार्यशालाएं: जहां आगंतुक लोककलाओं को सीख और समझ सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
शिल्पग्राम उत्सव ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देने और देश के सांस्कृतिक खजाने को वैश्विक मंच पर ले जाने का काम करता है।
पर्यटकों के लिए खास आकर्षण
- देश और विदेश से आने वाले पर्यटक उत्सव के जरिए भारतीय संस्कृति को करीब से जानने का अवसर पाते हैं।
- हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी से स्थानीय शिल्पकारों को एक नई पहचान मिलती है।
निष्कर्ष
शिल्पग्राम उत्सव 2024 न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरवशाली आयोजन है। यह उत्सव लोककला, संस्कृति, और परंपराओं को जीवंत करता है। भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का जश्न मनाने के इस अद्भुत आयोजन में हर किसी को शामिल होना चाहिए।