हमारे नींदे के पैटर्न को दो हिस्सो में बांटा जाता है। पहला जल्दी उठने वाले और दूसरा देर रात तक जागने वाले। यह लंबी बहस का मुद्दा है कि इनमें कौन ज्यादा बेहतर है। ऐसे ही एक ताजा शोध में पोलैंड की वारसॉ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के शोधकर्ताओंने पाया कि देर तक जागने वाले लोगों की तुलना में सुबह जल्दी उठने वाले लोग अधिक कर्तव्यनिष्ठ और धार्मिक स्वभाव के होते है। यह अनुशासन उन्हे जीवन में अधिक संतुष्ट और खुशहाल बनाता है। यह शोध ‘गॉडलेस आउल, डेवाउट लॉर्क्स’शीर्षक से पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। हालांकि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी वजह यह हो सकती है कि ज्यादातर धार्मिक गतिविधियां सुबह होती है। निश्चित ही,
धर्म जल्दी उठने और कर्तव्यनिष्ठता के बीच कुछ जुडाव हो सकता है दूसरी ओर, बिहेवियरल स्लीप मेडिसन जर्नल में प्रकाशित एक अन्य ताजा शोध में पाया गया कि रात में जागने वाले लोगों को आलसी, अस्वस्थ, अनुशासनहीन, अपरिपक्व और रचनात्मक माना जाता है। लेकिन क्या वास्तव में लोगों को इस नजरिए देखा जाना चाहिए? या ऐसे शोध अधूरे और अत्यधिक नैतिक तस्वीर तो पेश नहीं कर रहे। वर्कप्लेस साइकोलॉजी के एक्सपर्ट डेक्कन गिल्मर कहते है, कि यह एक पूर्वाग्रह है कि जो लोग सुबह जल्दी उठते है, वे रात में जागने वाले लोगों की तुलना में अधिक नैतिक होते है।
अगर कोई सुबह ६ बजे उठता है और काम पर जल्दी पहुंचता है तो उसे सामाजिक धारणाओंके चलते अधिक कर्तव्यनिष्ठ माना जाता है। वे कहते हैं कि एक रिसर्च में कर्मचारियों को खुद मैनेजर के तौर पर देखने और शेड्यूल परिवर्तन करने के कर्मचारियों के आवेदन की समीक्षा करने का टास्क दिया गया। इसमें पाया गया कि रात में जागने वाले लोगों के शेड्यूल में बदलाव के आवेदन को नकारात्मक तरीके से लिया गया, जबकि उनके काम में किसी तरह काी गडबडी नही थी।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किसी व्यक्ति का स्लीपिंग पैटर्न बायोलॉजिकल कारणों पर भी निर्भर करता है। कई बार मौसम भी तय करता है कि व्यक्ति किस समय उठेगा।